सरकार गिराने वालों की विश्वसनीयता पर बड़ा प्रश्न...

 


मैं हमेशा से यह कहता आया हूं कि राजनीति जो भी करा दे वह कम ही है... और मेरा कथन हमेशा से सही होता आया है... राजनीति की गहरी चाल ने सारे देश को चौंकाने का काम किया है.राजनीति पर एक चिंतन_टिप्पणी...एल.एन.उग्र..


 



          हाल ही के मध्य प्रदेश के घटनाक्रम पर यदि गौर करें... तो हम पाएंगे कि... जबसे मध्यप्रदेश में कांग्रेस सरकार बनी है... तभी से स्थिरता की भय ग्रस्त यह सरकार रही है... जहां संख्या बल में जोड़-तोड़ का गणित रहा... निर्दलीय विधायकों का भी खेल होता रहा है... इधर राजा महाराजा की विरोधाभासी नीति ने हमेशा ही कमलनाथ को संकटग्रस्त रखा... इन दो पाटों के बीच हमेशा ही रहे... वर्तमान राजनीति में ज्योतिरादित्य सिंधिया जहां अपने ही अधीनस्थ से चुनाव हार गए... वहीं कांग्रेस ने उन्हें कोई उपहार नहीं दिया... जबकि विधानसभा चुनाव में उन्होंने काफी मेहनत की थी... लेकिन राजा ने कमलनाथ को पूरी तरह से प्रेशर में दबाए रखा... फिर कमलनाथ भी तो थे बड़े पीर...न  अध्यक्ष पद छोड़ा और मुख्यमंत्री भी बने रहे... और अपनी ही चलाते रहे... फिर 15 साल से खाली बैठे कांग्रेसियों को बड़ी मुश्किल से कुछ दूध मलाई की उम्मीद जगी थी... जो लगभग सवा साल तक आस लगाए ही बैठे रहे... और आखिर भैंस गई पानी में... सरकार ही चली गई राजा चले...न  महाराजा चले  सब आ गए सड़क पर...!
         भाजपा का खेल चलता रहा ज्योतिराज सिंधिया बिना पद के बेचैन रहने लगे... उन्हें उम्मीद थी की मुख्यमंत्री पद मिलेगा... फिर उम्मीद थी अध्यक्ष पद की... फिर उम्मीद थी राज्यसभा की... पर सभी जगह से निराशा के मंजर के डूबते डूबते आखिर राजनीति की ऐसी गोट फिट की की अपने 20 _ 2२ सिपहसालारों को भी अपनी ढपली पर अपना राग निकालने को तैयार कर लिया... तेजी से चले घटनाक्रम में सिंधिया परिवार की कहानी में एक नया अध्याय फिर से जोड़ दिया... और कांग्रेस को पूरी ताकत से तोड़ दिया... सरकार को गिरा दिया... अब उनके सिपहसालार जो कांग्रेस को गिराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा गए... कलाकार हो गए... और शायद भाजपा की शिवराज नीत सरकार में महत्वपूर्ण पद भी पा जाएंगे...! परंतु कहां है नैतिकता... कहां है सिद्धांत... और कहां है आचरण वफादारी...? क्या सभी बागी पुराने कांग्रेसी भाजपा में बड़े पद विधायक या मंत्री या निगम में सेट हो जाएंगे... तो फिर इन बागियों के भी छुट भैया...गली कॉलोनी के नेताओं को भी सेट करना होगा... इन सबके बीच जिनको पहले इन बागियों ने हराया था... अब इनको जीतने देंगे... यह एक बड़ा प्रश्न है... फिर ये बेवफाई करके आए हें... तो उनकी इमेज क्या मुहाजिर जैसी नहीं होगी... इन सभी को पचाएगा कौन... इनकी विश्वसनीयता पर एक बड़ा प्रश्न खड़ा रहेगा... सारी दुनिया जानती है कि विभिक्षण राम के भक्त थे... पर थे तो वे आखिर रावण को छोड़कर आने वाले घर के भेदिए ना... मेरा तो यह भी मानना है कि बागी कांग्रेसियों को... सभी को भाजपा टिकट दे दे तो इन से हारे हुए... सभी भाजपाइयों को एक मत से इन्हें सबक सिखाने के लिए... कांग्रेस को जिताने का काम करना चाहिए... लोहे से लोहा कटता है... सिद्धांतों को जब इन लोगों ने नहीं माना... नैतिकता इन्होंने छोड़ी... आपको भी कोई परहेज नहीं करना चाहिए... जैसे के साथ तेसा करने में कोई बुराई नहीं है... अगर भाजपा यह सब ना करें तो... जनता के साथ इन्होंने धोखा किया है... किसी पद पर ना होते और कांग्रेस छोड़ देते... तो कोई बात नहीं थी... परंतु विधायक बनाया जनता ने... जनता ने कांग्रेस को वोट दिया था... व्यक्तिगत नहीं... इसलिए जीतने के बाद थाली में छेद करना उचित नहीं लगता है... और भाजपा यदि इन सभी को टिकट दे दे तो... जनता को इन्हें करारी हार से धरातल दिखाना चाहिए... और शायद ऐसा ही हो ही सही... और यह जरूरी भी है...क्योंकि जब यह रोजी रोटी देने वाली खुद की कांग्रेस की सरकार... सिर्फ अपने आका को काका बनाकर... गिराने की कहानी लिखी है... तो विश्वसनीयता की कसौटी पर तो खरे उतरने का सवाल ही नहीं उठता है... छोटे सिंधिया को कांग्रेस ने महाराजा के रूप में स्थापित किया हुआ था...अब सिंधिया जी ही रह जाएंगे...!
             कुल मिलाकर कांग्रेस सरकार गिराने वालों की विश्वसनीयता पर हमेशा  प्रश्नचिन्ह रहेगा... भाजपा को हमेशा ही यही डर बना रहेगा... कहीं यह भगोड़े... शिव को फिर से  राज्य से वंचित ना कर दे... अर्थात सरकार गिराने वालों की विश्वसनीयता पर हमेशा एक बड़ा प्रश्न खड़ा रहेगा...?
               


एल.एन.उग्र
स्वतंत्र लेखन:-एल.एन.उग्र