रीगल टाॅकिज पर कब्जे को लेकर 39 साल से चली आ रही कानूनी लड़ाई को विराम लग गया

रीगल टाॅकिज पर 48 घंटे में कब्जा लेगा निगम, मेट्रो प्रोजेक्ट में काम आएगी जमीन


रीगल टाॅकिज पर कब्जे को लेकर 39 साल से चली आ रही कानूनी लड़ाई को विराम लग गया। लोक परिसर बेदखली अधिनियम के तहत नगर निगम ने कब्जा लेने के लिए जो अर्जी लगाई थी उसे स्वीकार कर लिया गया। 48 घंटे में टाॅकिज प्रबंधन को जगह खाली करने के लिए कहा गया है। गाइडलाइन के हिसाब से 24 करोड़ कीमत की जमीन पर महज 30 हजार रुपए सालाना लीज रेंट निगम को मिल रहा था। निगम इस जमीन का उपयोग मेट्रो प्रोजेक्ट के लिए करना चाहता है। अधिवक्ता ऋषि तिवारी, मोहन शर्मा, प्रांजल भाले के मुताबिक 1980 में राज्य सरकार ने टाॅकिज लीज निरस्त करने के आदेश दिए थे।  



लेकिन सरकार के आदेश बाद भी निगम ने लीज अवधि बढ़ा दी थी। इसके बाद फिर सरकार ने आदेश दिए थे, लेकिन 2008 तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। 2008 में तत्कालीन निगमायुक्त ने लीज निरस्त कर दी। इस आदेश के खिलाफ टाॅकिज प्रबंधन ने जिला न्यायालय में परिवाद पेश किया, लेकिन वहां से भी राहत नहीं मिली। कोर्ट ने कहा कि निगम विधि अनुसार खाली कराने की कार्रवाई करे। निगम ने जब लोक परिसर बेदखली अधिनियम में कार्रवाई शुरू की तो टाॅकिज प्रबंधन ने इस प्रक्रिया को भी हाई कोर्ट में चुनौती दी। हाई कोर्ट ने यह अर्जी भी खारिज करते हुए विधि अनुसार कार्रवाई करने की बात निगम को कही। निगम ने लोक परिसर बेदखली के तहत अपनी प्रक्रिया जारी रखी। इसी बीच टाॅकिज प्रबंधन ने लीज नवीनीकरण को लेकर भी अर्जी दायर की जो अभी विचाराधीन है। शनिवार को लोक परिसर बेदखली अधिनियम के सक्षम प्राधिकारी शाश्वत शर्मा ने निगम की अर्जी स्वीकार करते हुए निगम को आदेश दिए कि परिसर पर 48 घंटे में कब्जा ले लिया जाए।